हमारा भारत एक ऐसा देश है जो कई परम्पराओ और संस्कृतिओ से मिल कर बना है | जहा अलग अलग जाती के, धरम और परंपराओ के लोग रहते है | हमारा भारत एक त्योहारों का देश है यहां हर साल कई त्यौहार होते है, भारत में कोई भी त्योहार (Festival) छोटा या बड़ा नही होता, यहां सभी त्योहारो को बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है | और इन त्योहारो पर हमारे घरो मे रौनक बढ़ाने के लिए किन्नर्र भी आते है | वैसे तो हमारा समाज एक मर्द और औरत से मिल कर बना है | लेकिन एक तीसरा जेंडर भी है जिसे हम किन्नेर भी कहते है भारत के किन्नेर भी हमारे समाज का ही हिस्सा है | हालाकी इसे हमारे समाज ने इसे कभी स्वीकार या अपनाया नही है | और इस वर्ग को थर्ड जेंडर यानी किननर या हिजड़ा भी कहा जाता है | किन्नरो को भगवान शिव (Lord Shiva) का अर्ध नरिश्वर रूप माना जाता है | जिसमे (Transgender) एक स्त्री और पुरूष दोनो के गुड होते है | जहा एक तरफ भगवान शिव (Lord Shiva) को अर्ध नरिश्वर रूप मान कर पूजा होती है | वही किन्नरो को एक आम इंसान का दर्जा और अधिकार भी नही मिल पाते | किन्नरो (Transgender) के बारे मे हमारे हिन्दू धर्म ग्रंथ महाभारत मे भी बताया गया है | इसके मुताबिक जब अर्जुन चित्रसेन से जब नृत्या और संगीत की शिक्षा ले रहे थे | तो वहाँ इन्द्र की अपशरा उर्वशी आती है और वो अर्जुन को देखते ही उन पर मोहित हो जाती है , जब उन्होने अर्जुन को अपने मन की बात बताई, तब अर्जुन ने कहा आप कुरूवंश की जननी (माता) होने के लिहाज से मेरी माँ के समान है | हमारा सिर्फ़ माँ और पुत्र का रिश्ता हो सकता है | अर्जुन के प्रेम प्रस्ताओ ठुकराने से उर्वशी को गुस्सा आ जाता है और वो अर्जुन को १ साल तक किन्नेर बनने का श्राप दे देती है जिससे अर्जुन को एक साल तक किन्नेर के रूप में जीवम व्यतीत करता पड़ता है, हलकी अर्जुन का ये श्राप उनके अग्यात वॉश के दौरान महत्वपूर्ण वरदान साबित हुआ | इस श्राप से वो खुद को कौरोवो से छिपाने अथवा बचाने मे सफल हो जाते है अग्यात वॉश के समय वो स्त्रिओ वाले कपड़े किन्नर के रूप मे पहनते थे| माना जाता है, की इसी वजह से किन्नर ज्यादातर स्त्रियों की तरह कपडे पहनते है | किन्नर ना तो पूरी तरह से एक पुरुष होते हैं और ना ही एक स्त्री , फिर भी उनका रहन सहन और पहनावा स्त्रियों की तरह होता है इसी वजह से उनसे कोई शादी करने के लिए तैयार नहीं होता लेकिन क्या आपको पता है की यह लोग भी लोग भी दुल्हन की तरह सजते और सवारते है और पति के मरने के बाद विधवा भी होते हैं | आपको जानकर हैरानी होगी की इस समाज से निकाली गई जाति किसी दूसरे किन्नर जाति से नहीं बल्कि अपने भगवान से विवाह अथवा शादी करते हैं किन्नरों के लिए इस शादी का बहुत महत्व है यह शादी कुबकॉउ नाम के एक गांव(Village) में होती है जो तमिलनाडु में स्थित है जहां हर साल तमिल नव वर्ष को पहली पूर्णिमा के दिन हजारों किन्नर सामूहिक विवाह करते हैं इस विवाह में हिंदू धर्म की तरह यहां शादी की कई रश्मि हल्दी , मेहंदी और संगीत होता है । यह किन्नरों के लिए किसी बड़े उत्सव से कम नहीं होता , जो 18 दिन तक चलता है और १६ दिन के बाद १७ वे दिन वो शादी करते है जिसमें उन्हें पुरोहित मंगलसूत्र पहनाते हैं इस विवाह की सबसे खास बात यह की इसमें दुल्हन की कोई उम्र तय नहीं होती यहां 18 साल से लेकर 80 साल तक किन्नर आते हैं । कहते हैं की किन्नरों को मरने से पहले यह विवाह करना जरूरी होता है। यह तो हुई दुल्हन की बात और अब आपको दूल्हे के बारे में बताते हैं।
किन्नरो का उनके भगवान से विवाह
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि किन्नरों की शादी इनके भगवान इरावन से होती हैं जिन्हें कई लोग अरावन के नाम से भी जानते हैं । इरावन अर्जुन और नागकन्या उलूपी के पुत्र हैं जिसने महाभारत के युद्ध में शकुनि के छह भाइयों को मारा था। अर्जुन और उलूपी के विवाह के बारे में एक कथा है । कि द्रोपति से विवाह के बाद पांडवों ने एक नियम बनाया था की जब कोई पांडव द्रोपति के साथ होगा तो दूसरा उनके कमरे में कोई नहीं आएगा अगर कोई इस नियम को तोड़ता है तो उसे 12 वर्ष के लिए वनवास जाना होगा एक बार युधिष्ठिर जब द्रोपति के साथ कमरे में थे तो अर्जुन अपना धनुष लेने के लिए कमरे में चले गए । जिसकी वजह से उन्हें 12 वर्ष का बनवास भोगना पड़ा वनवास के दौरान ही वह नागकन्या उलूपी से मिले और दोनों ने विवाह कर लिया कुछ समय बाद उलूपी ने इरावन नाम की पुत्र को जन्म दिया आपको महाभारत की युद्ध के बारे में पता ही होगा जो कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था इस युद्ध को जीतने के लिए पांडवों ने महाकाली की पूजा की थी लेकिन यह पूजा तभी सफल हो सकती थी जब किसी नर की बलि दी जाए जब इसके लिए कोई भी तैयार नहीं हुआ तब इरावन खुद की बलि देने के लिए तैयार हो गए लेकिन उसने एक शर्त रखी की वह शादी करने से पहले बली नहीं देंगे इस शर्त से पांडव परेशान हो गए की सिर्फ एक दिन के लिए कौन लड़की इरावन से विवाह करेगी क्योंकि उससे अगले दिन विधवा हो जाना है इस परेशानी का हल भगवान श्री कृष्ण ने निकाला उन्होंने खुद ही मोहिनी का रूप धर कर इरावन से शादी की महाभारत शुरू होने से पहले इरावन ने मोहिनी से विवाह किया इस तरह श्री कृष्ण एक रात के लिए इरावन कीदुल्हन बने और अगले दिन इरावन की मृत्यु के बाद मोहिनी ने एक विधवा की तरह विलाप किया। इसलिए किन्नर इरावन से विवाह करते हैं और विवाह के अगले दिन इरावन की मूर्ति को पूरे शहर में जुलूस के साथ घुमाते हैं इस प्रक्रिया को यह सुहागरात कहते हैं और शाम होने पर इस मूर्ति को तोड़ देते हैं इसके बाद विवाहित किन्नर अपना श्रृंगार उतार कर एक विधवा की तरह विलाप करते हैं और इस प्रकार किन्नरों को शादी करने का और दुल्हन बनने का सौभाग्य मिलता है उसके बाद कई किन्नर विधवाओं की तरह अपना जीवन जीते हैं आज के लिए बस इतना ही धन्यवाद।
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